टाटा ग्रुप का नाम सुनते ही एक बहुत ही प्रतिष्ठित और बड़े उद्योग समूह की छवि हमारे सामने आती है। टाटा मोटर्स दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों में से एक है जो कारों से लेकर ट्रकों तक के विभिन्न प्रकार के वाहन बनाती है। इसके बावजूद एक सवाल जो हर किसी के मन में आता है वह यह है कि टाटा ने आज तक टू व्हीलर बाजार में कदम क्यों नहीं रखा है जबकि भारत में यह उद्योग काफी बड़ा है और सालाना करोड़ों टू व्हीलर बेचे जाते हैं। इस लेख में हम विस्तार से उन कारणों पर चर्चा करेंगे जिनके चलते टाटा टू व्हीलर बाजार में उतरने से अब तक बचता रहा है।
टाटा ग्रुप की प्राथमिकता: सुरक्षा
टाटा मोटर्स ने हमेशा से अपने वाहनों में सुरक्षा को सबसे महत्वपूर्ण कारक माना है। इसका प्रमुख कारण यह है कि टू व्हीलर वाहनों की तुलना में कार और अन्य चार-पहिया वाहन अधिक सुरक्षित माने जाते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में अधिकांश घटनाएं टू व्हीलर वाहनों के साथ होती हैं जो इसे एक असुरक्षित विकल्प बनाता है।
भारत में सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं के आंकड़े इस बात को साबित करते हैं। अधिकांश सड़क हादसों में टू व्हीलर चालकों का बड़ा हिस्सा होता है और टाटा के लिए यह एक प्रमुख कारण है कि उन्होंने अब तक टू व्हीलर बनाने का फैसला नहीं किया है। टाटा मोटर्स अपने सभी प्रोडक्ट्स में यात्री सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है यही वजह है कि उनकी गाड़ियां सुरक्षा मानकों पर खरा उतरती हैं।
जमशेदजी टाटा का सिद्धांत: पहले देश फिर लाभ
टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा ने हमेशा से ही अपने व्यापार में सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता दी है। वह भारत के उद्योग क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले व्यक्ति थे। उनके सिद्धांत के अनुसार व्यवसाय को समाज और देश की भलाई के लिए होना चाहिए न कि सिर्फ मुनाफे के लिए। इस परंपरा को रतन टाटा और अन्य टाटा ग्रुप के नेतृत्वकर्ताओं ने भी जारी रखा है।
टाटा मोटर्स का हमेशा से यह उद्देश्य रहा है कि वे नवाचार के साथ-साथ सुरक्षित वाहन तैयार करें। टू व्हीलर उद्योग में भारी प्रतिस्पर्धा के बावजूद टाटा ने कभी भी इस बाजार में प्रवेश करने का प्रयास नहीं किया क्योंकि उनके लिए यात्री सुरक्षा सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
सुरक्षा प्राथमिकता: रतन टाटा की दृष्टि
एक बार रतन टाटा ने एक घटना का जिक्र किया जिसमें उन्होंने सड़क पर एक टू व्हीलर दुर्घटना देखी थी। इस घटना ने उनके मन में यह सोच बैठा दी कि टू व्हीलर वाहन कितने असुरक्षित हो सकते हैं खासकर भारतीय सड़कों पर। उन्होंने यह निर्णय लिया कि टाटा मोटर्स कभी भी टू व्हीलर बाजार में प्रवेश नहीं करेगी क्योंकि यह उनके सुरक्षा मानकों के अनुकूल नहीं है।
कमर्शियल वाहन से सीख: असफलताओं का डर
टाटा मोटर्स को अतीत में कुछ बड़े असफलताओं का सामना करना पड़ा है खासकर जब उन्होंने नए बाजारों में प्रवेश किया। 1998 में जब टाटा ने इंडिका के साथ पैसेंजर व्हीकल बाजार में कदम रखा तो इसे शुरुआत में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसके बाद टाटा नैनो का प्रोजेक्ट भी एक बड़ी असफलता साबित हुआ। इन असफलताओं ने टाटा को यह सिखाया कि किसी नए बाजार में बिना पूरी तैयारी और सही अनुभव के प्रवेश करना बेहद जोखिम भरा हो सकता है।
टू व्हीलर बाजार में पहले से ही हीरो, होंडा और बजाज जैसी बड़ी कंपनियां मौजूद हैं जो कि इस क्षेत्र में वर्षों से काम कर रही हैं और इनका अनुभव गहरा है। टाटा मोटर्स के लिए इस बाजार में प्रवेश करना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि टू व्हीलर उद्योग में सफलता प्राप्त करने के लिए विशेषज्ञता और अनुभव की आवश्यकता होती है।
फोकस: कमर्शियल और पैसेंजर वाहन
टाटा मोटर्स का मुख्य फोकस हमेशा से कमर्शियल और पैसेंजर वाहनों पर रहा है। यह कंपनी बसें, ट्रक और कारें बनाने में विशेषज्ञता रखती है। टू व्हीलर के बजाय टाटा मोटर्स ने हमेशा से चार-पहिया वाहनों पर ध्यान केंद्रित किया है क्योंकि इसमें उनका अनुभव और विशेषज्ञता है।
टाटा का मानना है कि पैसेंजर व्हीकल्स में उनकी सबसे बड़ी ताकत है और इस क्षेत्र में उन्होंने नवाचार और सुरक्षा दोनों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने भारतीय सड़कों के लिए कारों को इस तरह से डिज़ाइन किया है कि वे न केवल आरामदायक हों बल्कि सुरक्षा के मानकों पर भी खरी उतरें।
टू व्हीलर बाजार में प्रवेश क्यों नहीं किया?
टाटा मोटर्स का टू व्हीलर बाजार में प्रवेश न करने का निर्णय एक रणनीतिक कदम है। यह निर्णय न केवल उनके व्यवसायिक उद्देश्यों पर आधारित है बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए भी लिया गया है।
टाटा मोटर्स का उद्देश्य है कि वे अपने ग्राहकों को सबसे सुरक्षित, विश्वसनीय और टिकाऊ वाहन प्रदान करें। टू व्हीलर बाजार में उनकी भागीदारी न होने के पीछे का कारण उनकी सुरक्षा प्राथमिकता उनके पिछले असफलताओं से सीख और टू व्हीलर बाजार की जटिलताओं से बचने की रणनीति है।
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